२०१६-१०-०९

गीतानुवाद-०८७: तुम गगन के चंद्रमा हो

मूळ हिंदी गीतकारः भरत व्यास, गायकः लता मंगेशकर / मन्ना डे, संगीतः लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
चित्रपटः सती-सावित्री, सालः १९६४, भूमिकाः महिपाल, अंजनादेवी

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०१२१२१६


धृ
तुम गगन के चंद्रमा हो
मै धरा की धूल हूँ

तुम प्रणय के देवता हो
मै समर्पित फूल हूँ
तुम हो पूजा मै पुजारी

तुम सुधा मै प्यास हूँ

तू नभीचा चंद्रमा असशी
धरेची धूळ मी
तू प्रणय देवच
तुझ्यावरती समर्पित फूल मी
तूच पूजा, मी पुजारी
तू सुधा अन्‌ तहान मी


तुम महासागर की सीमा
 
मै किनारे की लहर
तुम महासंगीत के स्वर
 
मै अधुरी सांस पर
तुम हो काया मै हूँ छाया
 तुम क्षमा मै भूल हूँ

तू महासागर-किनारा
अन्‌ तटीची लाट मी
तू महा संगीत-स्वर हे
अन्‌ अपूरा श्वास मी
देह तू, तव सावली मी
तू क्षमा अन्‌ चूक मी


तुम उषा की लालिमा हो
भोर का सिंदूर हो

मेरे प्राणो की हो गुंजन
मेरे मन की मयूर हो
तुम हो पुजा मै पुजारी

तुम सुधा मै प्यास हूँ

तू उषेचा लालिमा
असशी उषेचे कुंकू तू
माझ्या प्राणांचे तू गुंजन
मनमयूरही तूच तू
तूच पूजा, मी पुजारी
तू सुधा अन्‌ तहान मी