२०१६-०९-२४

गीतानुवाद-०८६: पुकारता चला हूँ मै

 गीतकार: मजरूह, संगीतः ओ.पी.नय्यर, गायक: रफी
चित्रपटः मेरे सनम, सालः १९६५, भूमिकाः विश्वजीत, आशा पारेख

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २००४०६२४



धृ
पुकारता चला हूँ मै
गली गली बहार की
बस एक छॉव जुल्फ की
बस एक निगाह प्यार की
हाका करीत, मी चाललो
गल्ली बोळात, बहारीच्या
केसांची तव, आरास बस
प्रेमाचा एक, कटाक्ष बस

ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की
यही तो बात हो रही है काम की
कोई तो मुढ के देख लेगा इस तरफ
कोई नजर तो होगी मेरे नाम की
ही मस्करी, ही ऐट अभिवादनी
होणारी हीच बात मलाही भावली
कुणी तरी वळून बघेल इथे जरी
नकळे कटाक्ष कोणता, मला वरी

सुनी मेरी सदा तो इस यकीन से
घटा उतर के आ गयी जमीन पे
रही यही लगन तो ऐ दिल-ए-जवाँ
असर भी हो रहेगा इक हसीन पे
विश्वासुनी माझ्या हाकेस ऐकता
निशाही धावली त्वरीत धरेवरी
अशीच राहिली जरी का भावना
पडेल प्रभाव मम खचित परीवरी